Wednesday, July 31, 2013

भला नादान के सामने किसकी चली है ? नादानी तो धूर्तों का हथियार है .

रे ! दुनिया के समझदार ( डेढ़ अक्ल , over wise ( यानिकि महामूर्ख ) ) लोगों !!
समझदारी स्वभाव की सरलता में है , वक्रता में नहीं। 
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 


एक बात आप तय मानिए कि आप जिससे व्यवहार कर रहे हें , वह दुनिया की अन्य बातों में चाहे उतना चतुर न भी हो पर अपने प्रयोजन में पूरा चतुर है ; उसे बेबकूफ समझने की गल्ती आपको बहुत भारी पड़ सकती है। 

यदि वह थोड़ा साहसी , स्पष्टबादी और सरल स्वभावी हुआ तो शायद आपको जता भी दे कि आपको उसे नासमझ समझने की नासमझी नहीं करनी चाहिए ; यदि वह ऐसा करता है तो आप पर अहसान करता है। 
उसकी इस प्रतिक्रिया को उसकी गुस्ताखी मानकर उसे सबक सिखाने का प्रयास न करें वल्कि उसका अपने ऊपर उपकार मानकर सुधर जाएँ , आपका हित इसी में है। 

यदि उसके स्वभाव में भी आपके ही सामान वक्रता होती तो वह अपनी समझ को आपके समक्ष जाहिर नहीं करता वरन अज्ञानी बने रहकर ही आपको सबक सिखाता  . भला नादान के सामने किसकी चली है ?
नादानी तो धूर्तों का हथियार है  . 

यह बात तय मानिए कि दुनिया का प्रत्येक प्राणी अपने हितों के बारे में अत्यंत सजग रहता है और उसके अपने हित के विपरीत आपका प्रत्येक व्यवहार एक नन्हे शिशु को भी , यहाँ तक कि पशु तक को भी समझ में आता है। 
एक शिशु भी आपकी वक्रोक्तियों और आपके व्यवहार में विद्यमान सरलता या वक्रता का पूरी तरह संज्ञान ( notice ) लेता है। 

यदि आपकी चाल पकड़ी ही गई , जो आप छुपाना चाहते हें वह किसी से छुप ही न सका , जो आप जताना चाहते हें किसी ने वह स्वीकार ही न किया तो तेरी होशियारी ही किस काम की ?
फिर वह होशियारी नहीं डेढ़ अक्ल ( over wise ness ) कहलाती है , और यह " डेढ़ अक्ल " होशियारी का नहीं , मूर्खता का प्रकार है। 

स्वभाव और व्यवहार की सरलता ही श्रेष्ठ जीवन शैली है , यही श्रेष्ठ नीति है , यही समझदारी है , हमारे लिए यही हितकर है। 

जो व्यक्ति उक्त नीति को अपनाएगा उसका कल्याण होगा। 


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