Thursday, October 3, 2013

क्या धर्म सबके लिए नहीं है ? मात्र कुछ चमत्कारी लोगों के लिए ही है ?

कुछ लोग तो मात्र चमत्कार को ही धर्म मानते हें , धर्म के नाम पर मात्र चमत्कारों की ही आशा करते हें , कल्पना करते हें। 
यदि कोई यह मानता भी है की चमत्कार होते हें , चमत्कार नाम की कोई चीज अस्तित्व में है , तब भी चमत्कार कोई रोज - रोज् तो होते नहीं हें। 
हर कोई व्यक्ति भी चमत्कार नहीं करता है , नहीं कर सकता है। 
तब मैं चमत्कार को ही धर्म मानने बालों से पूछना चाहता हूँ कि -
क्या धर्म सबके लिए नहीं है ? मात्र कुछ चमत्कारी लोगों के लिए ही है ?
क्या धर्म प्रतिदिन और प्रतिपल follow करने की वस्तु नहीं है , मात्र यदा - कदा की वस्तु है ?

जब धर्म रोज के लिए नहीं रहा , सबके लिए नहीं रहा , तब क्या सब लोग रोज अधर्मी बनकर ही रहें ?
क्या यह श्रष्टि अधर्मी रहने के लिए ही बनी है , अधर्मी रहने के लिए ही अभिशप्त है ?

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