Friday, August 7, 2015

- परमात्म नीति (17) - अनुशरण नहीं, निरपेक्ष रहकर अपना निर्णय कर

                       - परमात्म नीति (17)

- अनुशरण नहीं, निरपेक्ष रहकर अपना निर्णय कर 





- तू निरपेक्ष रहकर अपना निर्णय कर! दूसरों का अनुशरण करने की कोशिश मत कर, क्योंकि अन्य तो अनन्त हें और वे भी प्रत्येक, प्रतिसमय भिन्न होता है, वे बदलते रहते हें. तू किसके किस रूप का अनुशरण करेगा?
भला इसीमें है कि तू तो मात्र अपनी क्षमता और अपनी आवश्यक्ता को पहिचान, अपनी प्राथमिकता नक्की कर और तदनुसार प्रवर्तन कर, तेरा कल्याण होगा.



उक्त सूक्तियां मात्र सूचिपत्र हें, प्रत्येक वाक्य पर विस्तृत विवेचन अपेक्षित है, यथासमय, यथासंभव करने का प्रयास करूंगा.

घोषणा 

यहाँ वर्णित ये विचार मेरे अपने मौलिक विचार हें जो कि मेरे जीवन के अनुभवों पर आधारित हें.
मैं इस बात का दावा तो कर नहीं सकता हूँ कि ये विचार अब तक किसी और को आये ही नहीं होंगे या किसी ने इन्हें व्यक्त ही नहीं किया होगा, क्योंकि जीवन तो सभी जीते हें और सभी को इसी प्रकार के अनुभव भी होते ही हें, तथापि मेरे इन विचारों का श्रोत मेरा स्वयं का अनुभव ही है.
यह क्रम जारी रहेगा. 

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