Monday, October 5, 2015

- परमात्म नीति - (53) - वे अपने विचारों में दृढ होते हें

कल आपने पढ़ा -

"महान लोग विवेकशील व विचारवान होते हें "

अब आगे पढ़िए -

- परमात्म नीति - (53)



वे (महान लोग) अपने विचारों में दृढ होते हें  






महान लोग प्रत्येक पहलू का सम्पूर्ण चिंतन और कठोर परीक्षा करके ही अपने विचारों को आकार देते हें, इसलिए उनके चित्त में अपने निर्णयों और विचारों के प्रति संदेह नहीं रहता है और वह अपने विचारों में दृढ रहता है. विचारों में द्रढ़ता के कारण वे संदेह रहित होकर द्रढ़ता
पूर्वक अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते हें.

सामान्यजन अपने विचारों में दृढ नहीं रह पाता है क्योंकि उसके विचारों के पीछे चिंतन और परीक्षा का वल नहीं होता है. 


जो व्यक्ति अपने विचारों में दृढ नहीं होगा, उसे अपने प्रयासों की सफलता के प्रति संदेह बना रहेगा और उसके प्रयासों में भी द्रढ़ता नहीं आ सकती है, वह जो कुछ भी करेगा आधे मन से करेगा और आधे मन से किये गए कार्यों में सफलता नहीं मिलती है.


व्यक्ति के विचारों में द्रढ़ता उसकी विचारशीलता से आती है. इस प्रकार हम देखते हें कि एक व्यक्तित्व के अनेक गुण एक दुसरे के पूरक और परस्पर एक दूसरे के आश्रित होते हें.




आगे पढ़िए - "महानलोग दृढ होते हें, जिद्दी नहीं " 
परमात्म नीति - (54)

कल -


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उक्त सूक्तियां मात्र सूचिपत्र हें, प्रत्येक वाक्य पर विस्तृत विवेचन अपेक्षित है, यथासमय, यथासंभव करने का प्रयास करूंगा.

घोषणा 


यहाँ वर्णित ये विचार मेरे अपने मौलिक विचार हें जो कि मेरे जीवन के अनुभवों पर आधारित हें.
मैं इस बात का दावा तो कर नहीं सकता हूँ कि ये विचार अब तक किसी और को आये ही नहीं होंगे या किसी ने इन्हें व्यक्त ही नहीं किया होगा, क्योंकि जीवन तो सभी जीते हें और सभी को इसी प्रकार के अनुभव भी होते ही हें, तथापि मेरे इन विचारों का श्रोत मेरा स्वयं का अनुभव ही है.

यह क्रम जारी रहेगा. 


- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 


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