Tuesday, October 6, 2015

परमात्म नीति - (54) - महानलोग दृढ तो होते हें पर जिद्दी नहीं -

कल आपने पढ़ा -

"वे (महान लोग) अपने विचारों में दृढ होते हें "

अब आगे पढ़िए -

परमात्म नीति - (54)


by- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 


महानलोग दृढ तो होते हें पर जिद्दी नहीं 




इसी आलेख से -

- "द्रढ़ता में सरलता, तार्किकता, विचारशीलता, दूरदर्शिता और बुद्धिमत्ता का सौरभ है और जिद्दीपन में अहंकार, क्षुद्रता, संकीर्णता और मूर्खतापूर्ण जड़ता का घिनौना संगम है."

- "द्रढ़ता के पीछे बुद्धिवल होता है और जिद भावनाओं से संचालित होती है."





द्रढ़ता में सरलता, तार्किकता, विचारशीलता, दूरदर्शिता और बुद्धिमत्ता का सौरभ है और जिद्दीपन में अहंकार, क्षुद्रता, संकीर्णता और मूर्खतापूर्ण जड़ता का घिनौना संगम है.
महानलोगों की द्रढ़ता प्रबुद्ध होती है, उसके पीछे तर्क और युक्ति का वल होता है और अनुभव का अवलम्बन होता है.
उसमें जड़ताभरी जिद नहीं होती है. जिद का नाम द्रढ़ता नहीं होता है.
द्रढ़ता के पीछे बुद्धिवल होता है और जिद भावनाओं से संचालित होती है.
आप कह सकते हें कि विचार रहित, जड़तापूर्ण द्रढ़ता जिद कहलाती है और विचारपूर्ण, तर्कपूर्ण जिद का नाम ही द्रढ़ता है. 
अपनी गल्ती का अहसास होते ही बुद्धिमान  लोग अपने विचारों में परिवर्तन कर लेते हें जबकि जिद्दी लोग अपनी जिद पर अड़े ही रहते हें.
महान लोग जिद्दी नहीं होते हें पर वे अपने विचारों में दृढ अवश्य होते हें, यही कारण है कि वे आत्मविश्वास पूर्वक अपने कदम आगे बढाते हें.

आगे पढ़िए -
"महान लोगों की द्रढ़ता और संकल्प अपने लक्ष्य की पूर्ती के लिए होते हें, किसी के विरुद्ध नहीं."


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उक्त सूक्तियां मात्र सूचिपत्र हें, प्रत्येक वाक्य पर विस्तृत विवेचन अपेक्षित है, यथासमय, यथासंभव करने का प्रयास करूंगा.

घोषणा 


यहाँ वर्णित ये विचार मेरे अपने मौलिक विचार हें जो कि मेरे जीवन के अनुभवों पर आधारित हें.
मैं इस बात का दावा तो कर नहीं सकता हूँ कि ये विचार अब तक किसी और को आये ही नहीं होंगे या किसी ने इन्हें व्यक्त ही नहीं किया होगा, क्योंकि जीवन तो सभी जीते हें और सभी को इसी प्रकार के अनुभव भी होते ही हें, तथापि मेरे इन विचारों का श्रोत मेरा स्वयं का अनुभव ही है.

यह क्रम जारी रहेगा. 


- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 



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