Friday, October 9, 2015

परमात्म नीति - (57) - महान लोग मात्र उद्देश्यों के प्रति ही नहीं साधनों की पवित्रता के प्रति भी सजग होते हें -

कल आपने पढ़ा -

"
महान लोग धैर्यवान होते हें"
अब आगे पढ़िए -

परमात्म नीति - (57)


by- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 





महान लोग मात्र उद्देश्यों के प्रति ही नहीं साधनों की पवित्रता के प्रति भी सजग होते हें -


इसी आलेख से -
"यह भ्रम है कि भ्रष्ट व मलिन साधनों द्वारा भी महान लक्ष्य प्राप्त किये जा सकते हें, यह मात्र सफलता का छद्म आभास है जो क्षणिक तौर पर हमें गाफिल कर सकता है पर अंतत: उसकी परिणति असफलता ही होगी.
अंतत: ही क्यों उसका तो प्रारम्भ ही असफलता के साथ होता है. जिस पल आप मलिन साधनों का सहारा लेने का विकल्प चुनते हें उसी पल अपनी महानता तो खो ही बैठते हें, महानता तो उसी पल मर जाती है."








महान लक्ष्यों की पवित्रता का सीधा सम्बन्ध साधनों की पवित्रता से है, साधनों की पवित्रता के बिना लक्ष्यों की पवित्रता संभव नहीं है. 
वे लोग भ्रम में जीते हें जो यह मानते हें कि दूषित साधनों, विधि और कार्यप्रणाली से भी महान लक्ष्य हासिल किये जा सकते हें.
सामान्यतया ऐसे सामान्यजन जिनका चिंतन उथला होता है, ऐसी ही मान्यता से ग्रस्त होते हें, इसीलिये वे साधनों की पवित्रता की ओर ध्यान ही नहीं देते हें.
महान लोग न सिर्फ महान लक्ष्य लेकर चलते हें वरन वे साधनों की पवित्रता के बारे में भी उतने ही सचेत रहते हें.

यह भ्रम है कि भ्रष्ट व मलिन साधनों द्वारा भी महान लक्ष्य प्राप्त किये जा सकते हें, यह मात्र सफलता का छद्म आभास है जो क्षणिक तौर पर हमें गाफिल कर सकता है पर अंतत: उसकी परिणति असफलता ही होगी.
अंतत: ही क्यों उसका तो प्रारम्भ ही असफलता के साथ होता है. जिस पल आप मलिन साधनों का सहारा लेने का विकल्प चुनते हें उसी पल अपनी महानता तो खो ही बैठते हें, महानता तो उसी पल मर जाती है.

अपने लक्ष्य की ओर बढना (साधना) हमारा नितप्रति का जीवनक्रम है, साध्य की सिद्धी तो हमारी लम्बी साधना का प्रतिफल हुआ करती है.
यदि हम साधनों की पवित्रता नहीं बनाए रखेंगे तो हमारी पूरी जीवनयात्रा (साधना )तो प्रदूषित वातावरण में ही व्यतीत होगी ही साथ ही उत्पाद की पवित्रता भी कायम नहीं रह सकेगी.


आगे पढ़िए -
"महान लोग सहिष्णु होते हें"

कल 


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उक्त सूक्तियां मात्र सूचिपत्र हें, प्रत्येक वाक्य पर विस्तृत विवेचन अपेक्षित है, यथासमय, यथासंभव करने का प्रयास करूंगा.

घोषणा 


यहाँ वर्णित ये विचार मेरे अपने मौलिक विचार हें जो कि मेरे जीवन के अनुभवों पर आधारित हें.
मैं इस बात का दावा तो कर नहीं सकता हूँ कि ये विचार अब तक किसी और को आये ही नहीं होंगे या किसी ने इन्हें व्यक्त ही नहीं किया होगा, क्योंकि जीवन तो सभी जीते हें और सभी को इसी प्रकार के अनुभव भी होते ही हें, तथापि मेरे इन विचारों का श्रोत मेरा स्वयं का अनुभव ही है.

यह क्रम जारी रहेगा. 


- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 

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