Saturday, October 10, 2015

परमात्म नीति - (58) - महान लोग सहिष्णु होते हें -

कल आपने पढ़ा -

"महान लोग मात्र उद्देश्यों के प्रति ही नहीं साधनों की पवित्रता के प्रति भी सजग होते हें "
अब आगे पढ़िए -


परमात्म नीति - (58)


by- परमात्म प्रकाश भारिल्ल



महान लोग सहिष्णु होते हें -

इसी आलेख से -

- "महान लोग सहिष्णुता के अपने गुण से अन्य लोगों के साथ होने वाले संभावित व्यर्थ के संघर्ष से अपने आपको प्रथक बनाए रखते हें, इस प्रकार अपनी समस्त शक्तियों और ऊर्जा का उपयोग अपने प्रयोजन की सिद्धी में करने में सफल रहते हें."

- "सहिष्णुता का अर्थ समर्पण नहीं होता है."






सहिष्णुता एक मानवीय गुण है जो मानव मात्र के लिए आवश्यक है, क्योंकि मानव एक सामाजिक प्राणी है वह अन्य अनेकों लोगों के साथ मिलकर समाज एक ऐसे में रहता है जहां सबके लिए स्थान होना चाहिए. इस बात से निरपेक्ष कि उसकी मानसिकता क्या है, विचारधारा क्या है, उम्र , रुचियाँ, विशेषताएं व कमजोरियां, धर्म-जाति, नागरिकता, आर्थिक-सामाजिक-राजनैतिक हैसियत, शिक्षा, आर्थिक स्थिति, भोजन-वेशभूषा आदि क्या हें.
जाहिर है इन विविधताओं से युक्त समाज में "मुंडे-मुंडे मतिर्भिन्ना" की उक्ति लागू होती है; यानिकि प्रत्येक व्यक्ति एक दुसरे से सर्वथा भिन्न है. 
हमें उक्त विभिन्नताओं के बाबजूद सहअस्तित्व के सिद्धांत का पालन करते हुए एक साथ शांति से जीवन व्यतीत करना है, यह हमारी मजबूरी भी है और आवश्यक्ता भी.
यह तभी संभव है जबकि हमारे व्यक्तित्व में सहिष्णुता हो.
जो जितना अधिक सहिष्णु होगा वह उतने ही अधिक लोगों को अपने साथ लेकर चल सकेगा. उतने ही महान कार्य कर सकेगा, महान बन सकेगा.
महान लोग सहिष्णुता के अपने गुण से अन्य लोगों के साथ होने वाले संभावित व्यर्थ के संघर्ष से अपने आपको प्रथक बनाए रखते हें, इस प्रकार अपनी समस्त शक्तियों और ऊर्जा का उपयोग अपने प्रयोजन की सिद्धी में करने में सफल रहते हें.
सहिष्णुता का अर्थ समर्पण नहीं होता है. यदि हम अपने अनुसार किसीको बदलने का आग्रह नहीं पालते हें तो यह भी आवश्यक नहीं है कि अन्यों के अनुरूप हम अपनेआप को बदल डालें.
सहिष्णुता का अर्थ है एक दुसरे के मामलों में दखल नहीं देना.
महान लोग अपने इस सहिष्णुता के गुन से न केवल दूसरों की दखलंदाजी से बचे रहते हें वरन अपने सहयोगियों का एक विशाल समूह जुटाने में सफल होते हें जो उनके प्रयोजन की सिद्धी में उनका सहायक बनता है.


आगे पढ़िए -

"महान लोग साहसी होते हें "

कल 


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उक्त सूक्तियां मात्र सूचिपत्र हें, प्रत्येक वाक्य पर विस्तृत विवेचन अपेक्षित है, यथासमय, यथासंभव करने का प्रयास करूंगा.

घोषणा 


यहाँ वर्णित ये विचार मेरे अपने मौलिक विचार हें जो कि मेरे जीवन के अनुभवों पर आधारित हें.
मैं इस बात का दावा तो कर नहीं सकता हूँ कि ये विचार अब तक किसी और को आये ही नहीं होंगे या किसी ने इन्हें व्यक्त ही नहीं किया होगा, क्योंकि जीवन तो सभी जीते हें और सभी को इसी प्रकार के अनुभव भी होते ही हें, तथापि मेरे इन विचारों का श्रोत मेरा स्वयं का अनुभव ही है.

यह क्रम जारी रहेगा. 

 
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 

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