Friday, September 2, 2011

शाकाहार

शाकाहार

(१)

बंद करो ये लहूधार का , जीवन का व्यापार

मूक पशू की पीड़ा समझो,अपनाओ शाकाहार

शाकाहार(२)

अरे मनुज ने मानवता तज , पशुता का यह मार्ग चुना

नीच कर्म यह महापाप है , सब पापों से कई गुना

शाकाहार(३)

दर दर भटके शांति खोजता , मानवता के नारों में

उलझा तीन टके के पीछे , पशू बध के व्यापारों में

शाकाहार(४)

कहाँ शुकून मिलेगा हमको,जब हर घर में चित्कार है

लाल लहू से जीभ रंगी है , अरु हाथों में तलवार है

शाकाहार(५)

चोट यदि मुन्ने को लगती , तब कितनी पीड़ा होती है

क्यों कोई फर्क नहीं पड़ता,जब बकरे की अम्मा रोती है

शाकाहार(६)

कई माओं की छिपी व्यथा है,तेरी षटरस थाली में

कई बधों की लिखी कथा , तेरे होटों की लाली में

शाकाहार (७)

मंदिर में पूजे गोमाता , कब घर में आदर पाती है

दूध पिलाना बंद करे तो , गाय कतल की जाती है

शाकाहार(८)

आज यदि पशू रोता है तो , कल तेरी भी बारी है

इन तलबारों की धारों की , नहीं किसी से यारी है

शाकाहार(९)

अरे पशू की छोड़ो चिंता , अब अपनी ही बात करो

रहे नहीं जो यदी काम के ,वे बोलेंगे अपघात करो

(10)

कहो कहाँ दरकार रही , अब बाहर के शत्रु की

गर्भपात कर करते ह्त्या,खुद अपने शिशुओं की

शाकाहार(11)

मेरी तेरी हो या पशुओं की , अरे जान तो जान है

इसमें उसमें जो फर्क करे,वह कायर है,बेईमान है

शाकाहार(12)

मांसाहार का दूषण लोगों,नहीं दूर क्षितिज का रहा अन्धेरा

आज द्वार पर दस्तक देता , जाने कब कर लेगा डेरा

शाकाहार(13)

अरे अश्रु की धाराओं ने , अपने आशय खो डाले

अरे लहू के लाल रंगों से , खेलें बालक भोले भाले

शाकाहार(14)

उनके जीवन में कहाँ दया , क्या प्रेम भावना रह पायेगी

खुद ही आपको लुटा पाओगे , जब बाढ़ खेत को खायेगी

शाकाहार(15)

करे शूल का बीजारोपण , उगता पेड़ बबूल का

अनंत काल भुगतोगे दूषण,एक समय की भूल का

शाकाहार(16)

इससे पहिले की लुट जाएँ,जाग्रत हो जाना चाहिए

हम भी रहें शाकाहारी , औरों को बनाना चाहिए

शाकाहार (१७)

अब नेक दयालू युवकों ने , छेड़ा दिया अभियान

अरे निरीह पशुओं के प्रति अब,करलो युद्धविराम

शाकाहार (18)

तुम खुद भी हो जीव , जीवका रक्खो तो सम्मान

नहीं बनो कातिल हत्यारे , तुम तो हो भगवान्

शाकाहार (19)

अरे! एक जीवन की खातिर , कितने जीवन छीनोगे

अपनी उनकी एक जात है , कब इस सच को चीन्होगे

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