Saturday, April 27, 2013

हम हें बहुत ही विचित्र लोग , हमारी आकाक्षाएँ बच्चों जैसी विचित्र हें . हमें संसार में रहकर ही सुखी होना है , हमें मरे बगैर स्वर्ग जाना है

धर्म का मार्ग संसार मार्ग से विपरीत है , हम धर्म के बारे में भी सांसारिक तरीके से ही सोचते हें .
तब हमारा कल्याण होगा कैसे ?
धर्म के मार्ग में जिस तरह का सोच चाहिए , हमारे पास वह दिशा ही नहीं है .

हम हें बहुत ही विचित्र लोग , हमारी आकाक्षाएँ बच्चों जैसी विचित्र हें .
हमें संसार में रहकर ही सुखी होना है , हमें मरे बगैर स्वर्ग जाना है 
हमें सुखी तो होना ही है , मगर संसार हम छोड़ नहीं सकते .
स्वर्ग तो हमें जाना है पर मरना किसी भी हालत में नहीं है 


यह संघर्ष अपने से , अपने आप से , अपनों से .
यह संघर्ष अपने ही विचारों से है , अपने ही विकारों से है .
अपने गलत विचारों को जानना है , स्वीकार करना है , उन्हें बदलना है , सही वस्तु स्वरूप जानना है स्वीकार करना है
यहाँ मेरा कार्यक्षेत्र मैं स्वयं हूँ , कोई अन्य नहीं .
यह संघर्ष औरों के साथ नहीं है .
इसीलिये कहीं जाने की जरूरत नहीं है .
जो कुछ करना है , अपने आप में करना है .
अपने अन्दर पर पदार्थों के प्रति जो एकत्व बुद्धी है,अपनत्व बुद्धी है , ममत्व बुद्धी है उसका त्याग करना है .
ऐसा करते ही अपने , अपने नहीं रहेंगे , पराये हो जायेंगे .
पराये तो वे थे ही , वे अपने तो हुए ही कब थे ?
बस उन्हें अपना मान लिया था , खामखाँ .
गल्ती हमने की थी , हमें सुधारनी है .
पर तब वे तथाकथित अपने , अपने नहीं रहेंगे . 
इसलिए कहता हूँ कि संघर्ष अपनों से है .
अरे भाई ! धर्म का मार्ग तो ऐसा है !
संसार के मार्ग से उल्टा है , संसारी लोगों की मान्यता से उल्टा है .
संसार में सबसे सम्बन्ध जोड़ने में सफलता समझी जाती है और धर्म के मार्ग में सबसे सम्बन्ध तोड़ने में .
तोड़ना भी कहाँ है ?
सम्बन्ध जुड़ता ही कब है , जुड़ा ही कब है ?
असल में तो जुड़ा नहीं , जुड़ता ही नहीं , जुड़ ही नहीं सकता है .
मान्यता में जुडा था , मान्यता में तोड़ना है .
मान्यता बदलनी है .
काम तो बहुत आसान है , काम तो कुछ है ही कहाँ ?
पर फिर भी बहुत कठिन है , समझ में आना ही कठिन है .
समझ में आने से मेरा तात्पर्य है स्वीकार होने से , स्वीकार होना ही कठिन है .
पर करना तो होगा , तुझे ही करना होगा .
पर को अपना मानना छोड़ा तो मुक्त हो गया , मुक्त हो गया तो सुखी हो गया .
आज कर या कल कर .
जब करेगा तब सुखी होगा . 
जो करगा वह सुखी होगा .

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