Friday, October 25, 2013

आप कर्जा लें या न लें , यह दुनिया आपको कर्जदार बनाकर ही छोड़ेगी।

आप कर्जा लें या न लें , यह दुनिया आपको कर्जदार बनाकर ही छोड़ेगी। 
- परमात्म  प्रकाश भारिल्ल 

लेनदेन के मामले में बड़ी ही पक्की है ये दुनियाँ , इसे हर बात का हिसाब चाहिए और हर व्यवहार के बदले में व्यवहार। 

यदि कोई आपको देखकर मुस्कुरा भर दे तो आप उसके कर्जदार हो गए , अब आपको उसका कर्जा उतारने के लिए उसे देखकर मुस्कुराना ही पडेगा , भले ही आपको उसे देखकर रोना आता हो। 

यदि किसी ने आपको नमस्कार कर लिया तो अब आपको उस या तो नमस्कार करना या आशीर्वाद देना जरूरी हो गया , यदि आप किसी कारण चूक गए तो फिर देखो !

किसी ने आपको अपने वेटे की शादी में आने का आमंत्रण क्या दे दिया आप उससके जन्म-जन्मान्तर के कर्जदार हो गए , अब सबसे पहिले तो आपको कितनी ही असुविधा क्यों न हो आपको उसके यहाँ शादी में जाना जरूरी हो गया , फिर उसे अपने यहाँ की शादी में बुलाना भी उतना ही जरूरी हो गया और हाँ यह याद रखना भी उतना ही जरूरी है कि शादी में गिफ्ट किस कीमत का दिया है , क्योंकि लगभग उसी कीमत का गिफ्ट आपको उसके यहाँ की शादी में लौटाना भी तो होगा। 

एक बार जब यह सिलसिला शुरू हो ही गया तो फिर एक दूसरे को देखने के लिए अस्पताल जाना , गमी में श्मसान , तिया और तेरईं में जाना भी आपके कर्जे में शामिल है , फिर जाने यह व्यवहार फेरने के लिए उसे मरना ही क्यों न पड़े। 

एक बार जब ऐसा ही अवसर आया और मैंने किसी की तीये में जाने में असमर्थता व्यक्त की तो सामने वाला कहने लगा कि यदि तुम किसी के यहाँ नहीं जाओगे तो तुम्हारे यहाँ कौन आयेगा ?

ओहो ! मुझे तो इन बातों की खबर ही न थी !
जीवन में एक बार ( जीवन में कहाँ , मरने के बाद ) अपने तिये में भीड़ जुटाने के लिए मुझे जिन्दगी भर श्मशानों के चक्कर लगाने होंगे और तियों में जाना होगा। 
क्या ऐसा नहीं हो सकता है कि मुझे इन सबसे छुट्टी मिल जाए और फिर भले ही कोई मेरे तीये में भी न आये ?

लिखना तो बहुत है पर अब फिर कभी लिखूंगा , पर इतना समझ लीजिये की यहाँ जीना एक महंगा सौदा है , यहाँ सांस लेने की भी कीमत चुकानी होती है और सांस छोड़ने की भी। 
यहाँ आपको जीवन भर कर्जदार बनकर ही जीना होगा और कर्जदार ही मरना भी होगा। 

यदि तुझे यह भार वहन नहीं करना है तो तुझे अपना मार्ग चुनना होगा 

क्या आप तैयार हें ?

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