Thursday, August 6, 2015

Parmatm Prakash Bharill: जब तक यह सुनिश्चित नहीं हो जाता कि “मैं कौन हूँ” म...

Parmatm Prakash Bharill: जब तक यह सुनिश्चित नहीं हो जाता कि “मैं कौन हूँ” म...: करने योग्य कार्य तो मात्र वही है जो मेरे लिए हितकारी हो ,  “मैं” की पहिचान के अभाव में जब मेरे हित ही सुनिश्चित व सुपरिभाषित नहीं तो मैं क...

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