कल आपने पढ़ा -
"महान लोग आवश्यक्ता पड़ने पर खतरों से भी खेलते हें"
अब आगे पढ़िए
by- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
महानलोग गल्तियाँ होने के भय से ठहर नहीं जाते हें. -
इसी आलेख से -- "यदि लीक से हटकर कोई नया कदम उठाया जाए तो उसमें गल्तियों की संभावनाएं बनी ही रहती हें. यदि गल्तियाँ होने के भय से कोई नया निर्णय लिया ही न जाए तो प्रगति अवरुद्ध रहेगी. ऐसे में आखिर कोई करे क्या?"
- "महान लोग गल्तियाँ करने से हिचकते तो हें पर डरते नहीं. वे गल्तियों से सीखते अवश्य हें.
वे गलतियों से बचने का प्रयास करते हें, तब भी यदि गल्तियाँ हो ही जाती हें तो वे उनसे सीखते हें, उन्हें सुधारते हें और आगे बढ़ जाते हें, इस प्रकार सफल हो जाते हें."
यदि लीक से हटकर कोई नया कदम उठाया जाए तो उसमें गल्तियों की संभावनाएं बनी ही रहती हें. यदि गल्तियाँ होने के भय से कोई नया निर्णय लिया ही न जाए तो प्रगति अवरुद्ध रहेगी. ऐसे में आखिर कोई करे क्या?
महान लोग निर्णय लेते हें, वे गल्तियाँ करने से डरते नहीं.
सामान्यजन गल्तियाँ करने से डरते हें और उनसे बचने के फेर में कुछ करते ही नहीं, वे यह तो भूल ही जाते हें कि कुछ नहीं करना तो सबसे बड़ी गल्ती है. जब कुछ करेंगे ही नहीं तो कुछ भी होगा कैसे?
इसप्रकार वे अपने जीवन में असफल ही बने रहते हें.
महान लोग गल्तियाँ करने से हिचकते तो हें पर डरते नहीं. वे गल्तियों से सीखते अवश्य हें.
वे गलतियों से बचने का प्रयास करते हें, तब भी यदि गल्तियाँ हो ही जाती हें तो वे उनसे सीखते हें, उन्हें सुधारते हें और आगे बढ़ जाते हें, इस प्रकार सफल हो जाते हें.
आगे पढ़िए -
"महानलोग अपनी गल्तियों से सीखते हें "
कल
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उक्त सूक्तियां मात्र सूचिपत्र हें, प्रत्येक वाक्य पर विस्तृत विवेचन अपेक्षित है, यथासमय, यथासंभव करने का प्रयास करूंगा.
- घोषणा
यहाँ वर्णित ये विचार मेरे अपने मौलिक विचार हें जो कि मेरे जीवन के अनुभवों पर आधारित हें.
मैं इस बात का दावा तो कर नहीं सकता हूँ कि ये विचार अब तक किसी और को आये ही नहीं होंगे या किसी ने इन्हें व्यक्त ही नहीं किया होगा, क्योंकि जीवन तो सभी जीते हें और सभी को इसी प्रकार के अनुभव भी होते ही हें, तथापि मेरे इन विचारों का श्रोत मेरा स्वयं का अनुभव ही है.
यह क्रम जारी रहेगा.
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
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