Thursday, October 29, 2015

समाधिमरण मात्र मौत की प्रक्रिया नहीं है वरन म्रत्यु से पूर्व सात्विक, गरिमामय, उत्कृष्टतम जीवनशैली है. यह तो समाधिमरण नाम में मरण शब्द का प्रयोग है जो कि भ्रम उत्पन्न करता है.

समाधिमरण मात्र मौत की प्रक्रिया नहीं है वरन म्रत्यु से पूर्व सात्विक, गरिमामय, उत्कृष्टतम जीवनशैली है. यह तो समाधिमरण नाम में मरण शब्द का प्रयोग है जो कि भ्रम उत्पन्न करता है.


- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 



स्वाभाविक मृत्यु की ओर अग्रसर उस साधक कोजिसे न तो म्रत्यु का भय हो और न ही जीवन का लोभ. 
जिसे न तो जीवन से विरक्ति हो गई हो और न ही जो मृत्यु के लिये आतुर व लालायित हो. 
अपनी भूमिका की मर्यादा में रहकर प्रतिकार (जीवित रहने का उपाय) संभव न होने (अतिचार रहित चिकत्सा संभव न रहने पर) की स्थिति में या जब जीवन का पोषण करने वाला अन्न ही जीवन का शोषण करने लगे अर्थात भोजन का ग्रहण और पाचन स्वाभाविक रूप से स्वत: ही बंद हो जाए तोअहार का त्याग करदेने/होजाने को और स्वाभाविक रूप से होरही म्रत्यु को सहज भाव से ज्ञाता-द्रष्टा रहकर स्वीकार करने को सल्लेखना या समाधिमरण कहते हें.
इस प्रकार हम देखते हें कि समाधिमरण मात्र मौत की प्रक्रिया नहीं है वरन म्रत्यु से पूर्व सात्विक, गरिमामय, उत्कृष्टतम जीवनशैली है. 
यह तो जीवन में होने वाली एक लम्बी प्रक्रिया है जो म्रत्यु के साथ पूर्णता को प्राप्त होती है पर म्रत्यु तो इस प्रक्रिया में घटित होने वाली मात्र एक समय की घटना है, फिर उसमें हमारा कर्त्रत्व ही क्या है?
यहतो समाधिमरण नाम में मरण शब्द का प्रयोग है जो कि भ्रम उत्पन्न करता है.

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